किसी भी समाज के नेत्र के रूप में मार्गदर्शक का कार्य समाज के कार्मिक करते हैं। इसी को ध्यान में रखकर रामफूल गुर्जर (पीआरओ) सदस्य, राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2010-11 में राजस्थान में गुर्जर समाज के सरकारी व गैर-सरकारी क्षेत्र में कार्यरत / सेवानिवृत्त कार्मिकों को एक मंच पर लाकर समाज के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से गुर्जर कर्मचारी अधिकारी कल्याण परिषद् का गठन किया गया था। इस संस्था को अब जीकेप के संक्षिप्त नाम से राज्य में आम कार्मिक जानने लगे हैं।
यह एक सामाजिक संस्था है, जिसका पंजीयन क्रमांक 537/2010-11 है, जोकि समाज के प्रत्येक वर्ग के उत्थान हेतु विशेषकर गुर्जर समाज के शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक उन्नयन तथा सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन पर वर्ष 2010-11 से कार्य कर रही है। वर्तमान में इस परिषद के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र सिंह तंवर, संयुक्त शासन सचिव, गृह विभाग, राजस्थान सरकार तथा महासचिव हंसराज गुर्जर हैं।
नवीन कार्यकारिणी को समय-समय पर अपेक्षित सहयोग व मार्गदर्शन देने हेतु 6 सदस्यीय अपेक्स बॉडी भी गठित की गई है, जिसमें प्रोफेसर पी.एस. वर्मा, भूतपूर्व अध्यक्ष, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सलाहकार, गौरव बजाड़, अध्यक्ष, राजस्थान प्रशासनिक सेवा को मुख्य संरक्षक, जी-केप के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर आर.के. गुर्जर को संरक्षक, रामफूल गुर्जर, सदस्य, राज्य राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, राजस्थान सरकार को संस्थापक संरक्षक, ब्रह्म सिंह गुर्जर, पूर्व सदस्य, राजस्थान लोक सेवा आयोग को संयोजक एमबीसी वर्ग और डॉक्टर कुलदीप महुआ को गुर्जर शिक्षा ज्योति का संयोजक नियुक्त किया गया है। इस परिषद द्वारा समाज के शैक्षिक उन्नयन हेतु ‘गुर्जर शिक्षा ज्योति’का शुभारम्भ किया गया है। इसी प्रकार शैक्षणिक एवं भर्ती संबंधी गतिविधियां, कार्मिकों संबंधी गतिविधियां, भूमि-भवन व पुस्तकालय संबंधी गतिविधियां, जन कल्याणकारी योजनाओं संबंधी गतिविधियां तथा सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु समितियों का गठन किया गया है, जिनके संयोजक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं को नियुक्त कर समाज के प्रति समर्पित लोगों को इनसे जोडा गया है।
चूंकि समाज का विकास सामूहिक प्रयासों से ही सम्भव है, अतः समाज के प्रति समर्पित व कार्य करने के इच्छुक लोगों का हम सदैव स्वागत करते हैं।
Objective
समाज का शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक उन्नयन तथा सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन कर सर्वांगीण विकास हेतु निरन्तर प्रयास करना।